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ऐ लड़की / विपिन चौधरी

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<poem>तुम क्या पसंद करोगी
कहो
किसी सत्यवान की खातिर तपना पसंद करोगी
या सीता की तरह आग में उतरना चाहेगी
या कोई और ही रास्ता चाहने वाली हो?

पर ध्यान रहे पूरी मर्जी तुम्हारी नहीं
जिस भी रास्ते से तुम जाओगी
वह हमारी सलाहों मशवरों से होकर गुजरेगा
कई अल्पविराम पूर्णविराम होंगे तुम्हारे आगे-पीछे
तुम्हें हर पल परदे में रखा गया
तुम्हारे कदम लक्ष्मण-रेखा के भीतर ही रोके गए
इतनी धनी पहरेदारी पर भी
तुम्हारी आंखों ने उसे ही क्यों भेदा
जो तुम्हारी पहुंच से परे था
एक फंदा भी तैयार है यहां
यहां! इस तरफ
अपना सिर इसमें खुद डालोगी या
इसमें भी हमें हाथ बंटाना होगा
हमें पीसना आता है छोरी
धान भी इंसान भी

हमारे पास मूंछें नाक और सत्ता सब है
एक चुप हजार सुख हैं
सुन ले और हमारी हिदायतों के भीतर रह
यहीं तुम्हारी किस्मत होगी
पर उससे पहले
जरा इधर तो आ!</poem>
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