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दूसरा पैर उठाता है तो रुकता है
फिरका-परस्ती तौहम परस्ती और गरीबी रेखा
एक है दौड़ लगाने को तय्यार खडा तैयार खड़ा है‘अग्नि’ पर रख पर पांव उड़ जाने को तय्यार खडा तैयार खड़ा है
हिंदुस्तान उम्मीद से है!
आधी सदी तक उठ उठ कर हमने आकाश को पोंछा है
सूरज से गिरती गर्द को छान के धूप चुनी है
साठ साल आजादी के…हिंदुस्तान के… हिंदुस्तान अपने इतिहास के मोड़ पर हैअगला मोड़ और ‘मार्स’ पर पांव रखा होगा...!!हिन्दोस्तान उम्मीद से है...
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