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हिज्जे
गुज़र रहा था उनका हुजूम भी<br>
‘तिब्बत देश हमारा है’ के नारे<br>
लगाता हुआ हिन्दी हिंदी में<br><br>
वे तिब्बती थे यक़ीनन<br>
लेकिन यह विरोध प्रदर्शन का<br>
विदेशी तरीका तरीक़ा था शायद<br><br>
नारों ने भी बदल ली थी<br>
एक भिखारी देश के नागरिक को<br>
कैसे अनुभव करा सकते थे भला वे<br>
बेघर होने का सन्ताप संताप?<br><br>
अस्सी करोड़ आबादी के कान पर<br>
दलाईलामा तुम्हारी लड़ाई का<br>
यही हश्र होना था आखिर आख़िर!<br>
दर-बदर होने का दुख उन्हें भी है<br>
जो गला रहे हैं अपना हाड़<br>
और इसीलिए उनकी आहों में<br>
दम है तुमसे ज़्यादा<br>
दलाईलामा !<br><br>
वे मुहताज नहीं है अपनी लड़ाई के लिए<br>
कोई क्या बताएगा उन्हें<br>
बेघर होने का सन्ताप संताप दलाईलामा !
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