भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

टिम्बकटू / उज्ज्वल भट्टाचार्य

1,716 bytes added, 11:21, 19 दिसम्बर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उज्ज्वल भट्टाचार्य |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=उज्ज्वल भट्टाचार्य
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>मुझे मालूम है
अफ़्रीका के किसी मुल्क में
कोई शहर है
नाम है टिम्बकटू
वहां के लोग
मुझसे कुछ अलग दिखते हैं
उनकी भाषा अलग है
जो मैं नहीं समझता
वे भी मेरी भाषा नहीं समझते
इन बाशिंदों के लिये
टिम्बकटू अपना है
मेरे लिये पराया है
और इसीलिये मैं वहां होना चाहता हूं.

लेकिन हो सकता है
मैं वहां होऊं
सड़क पर टहलता होऊं
लोग मुझे देखते रहे
दिलचस्पी के साथ
चाय की दुकान पर
जब मैं पहुंचूं
बेंच पर मेरे लिये वे जगह बनावें
मुझसे कुछ कहना चाहें
लेकिन मेरी भाषा उन्हें न आवे
वे सिर्फ़ मुस्कराकर रह जायं
और मैं भी मुस्करा दूं
और वो पराया शहर
टिम्बकटू
अचानक अपना सा लगने लगे...

इसी डर से
मैं टिम्बकटू नहीं गया.
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits