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{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>मास मधुर बिनु कंत हो रामा विरह अगिन भेल !
अविरल रैन वसंत हो रामा चान मलिन भेल !
सुनल मुरारी हेरथि राधा
हमर दुखक नहि अंत हो रामा बैमान नलिन भेल !
टीसक टीस कही ककरा सँ
सहधर्मी नव दर्शन हेरथि
एकसर गगन अनंत हो रामा शान तुहिन भेल !
रंगपंचमी के काल लगीच अछि
कत' छथि रक्षक पंत हो रामा छान दुर्दिन भेल !</poem>