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{{KKRachna
|रचनाकार=राग तेलंग
|संग्रह=
}}
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<poem>हर शख्स
कुछ अधूरी इच्छाओं के बोझ लिए
अपने मुगालतों समेत
दुनिया-ए-फानी से
कूच कर जाता है
असमय
कितना अच्छा हो
अगर प्याला
यहीं रहते खाली हो जाए और
नशा आखिरी वक्त तक तारीं रहे ।
</poem>
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<poem>हर शख्स
कुछ अधूरी इच्छाओं के बोझ लिए
अपने मुगालतों समेत
दुनिया-ए-फानी से
कूच कर जाता है
असमय
कितना अच्छा हो
अगर प्याला
यहीं रहते खाली हो जाए और
नशा आखिरी वक्त तक तारीं रहे ।
</poem>