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<poem>लता-लता है और
आशा-आशा
दोनों की आवाज़
तनहाई में साथ निभाती है

जब जगजीत चप्पू खेते हैं और
गुलज़ार आपको तैराते हैं नाव की तरह
आप को बंधाते हैं दोनों ढांढस

खय्याम और जयदेव
सक्षम दोनों ले जाने में
क्षितिज के पार
जहां दीखता है इंद्रधनुष स्वरों का

विलायत खां और रविषंकर के पास
अलग-अलग ज़ायके की धुने हैं
चुन लीजिए और डूब लीजिए
दोनों आपकी ही खातिर हैं

बिस्मिल्ला खां और अमज़द अली खां
आपको झुमा देने की
काबिलियत रखते हैं
अगर आप तैयार हैं तो

अल्लारखां और जाकिर हुसैन
आपको जगाते हैं थाप से
कहते हुए जैसे
कहां खोए रहते हैं जनाब ?

बेगम अख़्तर और फरीदा खानम
आपको कहीं ले जाकर
लौटा लाते हैं वापस
उसी स्थान पर
जहां से आप झांक सकें
खुद के भीतर

परवीन सुल्ताना और सविता देवी
आपको तब-तब झंकृत करती रहेंगी
जब-जब आप इंतज़ार में रहेंगे कि
कोई आए और थपथपाए आपका कांधा

सब खासमखास हैं
किसी का किसी से
कोई मुकाबला नहीं

क्योंकि अब आप समझ गए होंगे
लता-लता है और
आशा-आशा ।
</poem>
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