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बेटे के लिए / राग तेलंग

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<poem>बेटे
इस दुनिया में
थोड़े से लोगों के पास ढेर सारे पैसे हैं
फलतः बहुत सारे लोगों के पास थोड़े से भी पैसे नहीं हैं

बेटे
इसी वजह से
उन ढेर सारे लोगों में से कइयों को भीख मांगना पड़ रही है
कई कर्ज के संजाल में कैद हैं
कई तो मजबूर हैं अपराध करने के लिए
कइयों को बने रहना है मजदूर ही पीढ़ी दर पीढ़ी

यहां कुछ साथी भी मिलेंगे पल भर के लिए और
दुश्मन भी कई उम्र भर के लिए
संभलकर चलना इसीलिए जो ज़रूरी है

बेटे
घर से बाहर निकलना तो संभल-संभलकर चलना
कदम-कदम पर गड्ढे हैं
कुरते पर छींटें आने में ज़रा भी देर नहीं लगती
यहां भावनाओं पर भारी है जेब का वज़न
कइयों के लिए वही मायने रखती है

बेटे
कुल मिलाकर पैसा ही नहीं है जिं़दगी
मगर ध्यान रहे पैसा बहुत सारी मुश्किलों की जड़ है
संभलकर चलना और देखते हुए चलना रास्ते भर
बगैर चश्मा उतारे

बेटे
यहां लिखे हुए लफ़्ज़ों की बहुत कम कीमत है और
गालियों से पैदा दहशात का मोल ज़्यादा
यहां अपनी ज़ुबान का स्वाद मीठा रखना मुश्किल है ज़रूर
मगर तुम इसके लिए कोशिशें करना मत छोड़ना

बेटे
एक दिन जब मैं तुम्हारी याद में घर कर जाऊँगा
और जब तुम दुनिया को नई नज़र से देखने लगोगे
तब मैं समझूँगा
हमारा ख़्वाब सच होने के करीब है।
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