भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमदम को भूल गया / कमलेश द्विवेदी

1,260 bytes added, 16:59, 24 दिसम्बर 2015
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश द्विवेदी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कमलेश द्विवेदी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>अपनी खुशियों में यों खोया मेरे गम को भूल गया.
वो "मैं" में डूबा है जबसे तबसे "हम" को भूल गया.

डूबे-उतरे-तैरे अब वो नदिया के सँग-सँग खेले,
पर वो नदिया आई जहाँ से उस उद्गम को भूल गया.

चारों ओर फसल लहराती दिखती उसके खेतों में,
जिसने इन खेतों को सींचा उस मौसम को भूल गया.

गंगा-यमुना की महिमा को गाता फिरता है सबसे,
लेकिन इन दोनों के पावन संगम को वो भूल गया.

मेरा कितना दम भरता था वो अपनी हर महफिल में,
हमदम-हमदम कहता था वो अब हमदम को भूल गया.
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
2,956
edits