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|रचनाकार=प्रदीप मिश्र
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<poem>
''' कोचिंग सेन्टर - तीन '''
होर्डिंग पर चस्पा हमउम्र बच्चे की तस्वीर को
उसने बड़े गौर से देखा
और जोड़-जोड़ कर पढ़ा
आई... आई... टी... फर्स्ट.. रैंक...
मुस्कराया और बोला वाह बेटा
फिर ख़ख़ार कर थूका और चल दिया
चाय पहुँचाने
सेठ सोनामल की दूकान पर।
</poem>