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होत निरौनी जबै धान के खेतन माहीं।
अवलि निम्न जातिय जातीय जुबति जन जुरि जहँ जाहीं॥
खेतन में जल भरयो शस्य उठि ऊपर लहरत।
चारहुँ ओरन हरियारी ही की छबि छहरत॥