[[दायण आई /अज्ञात]]
[[आज म्हारे आंगणे /भजन/अज्ञात]]
दायण आई है कौशल्या थारे द्वार
खाली हाथा नहीं जायुं ....
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ:
मैं तो दायण सूरज कुल री पिढ़यासु रही आय निर्विग्न कुरुमेदेव सर्व कार्येषु सर्वदा ||
पोतड़ीया धोवन ने थारे घर पर आई चलाय
आशा मोटी लेकर आई सरजू पार आज म्हारे आंगणे श्री गिरिजा नंदन आयोजी,
खाली हाथां नहीं जाऊं .......गिरिजानन्दन आयोजी, भक्तन के मन भायोजी ||
आंगणिये में रमता कमर तगड़ी, पगाँ पैजनी, हाथां झुणझुणीयो देख्या चारु राजकुमार लायोजी,
नहीं गर्भ सु जन्म्या ऐ तो प्रगट्या जग करतार नैन में काजलयो, मस्तक टिकी चाँद मंडायोजी ||
ऐ तो सारी ही श्रिष्टि रा सिरजनहार
खाली हाथां नहीं जाऊं .......पहर जरी को झबलो , चोटी रेशम फूल गुंथायोजी,
ठुमक ठुमक कर चाले,बोली बोले है तुतलायोजी ||
म्हे तो थारी दाईमाँ थे म्हारा जजमान
पहलो नेग चुकाओ देवो भक्ति रो वरदान चौकी पर सिंघासन, जि पर सुन्दर वस्त्र बिछायोजी,
थारे चरणा शीश नवाऊँ बारमबारचरण धोय चरणामृत ले शिव नंदा ने बैठायोजी ||
खाली हाथां नहीं जाऊं .......
चन्दन,अक्षत,धुप,दीप कर पुष्प हार पहनायोजी,
अँखियाँ शीतल करूँ लाल ने टुक टुक रहूँ निहार भोग लगावण एक थाल लडुअन को भी मंगवायोजी ||
नवधा भक्ति रो पहनूंगी गल में नौलख हार
म्हाने जुग जुग माहीं दीजियो नाहीं बिसार लाडू देख विनायकजी को मनड़ो आज ललचायोजी,
खाली हाथां नहीं जाऊं .......झटपट उठा उठा कर लाडू रुच रुच भोग लगायोजी || छटा देख प्रिय गजानंद की मन म्हारो हरषायोजी, नजर न लागे लम्बोदर के राई लूण करवायोजी || विघ्न विदारण मंगल कारण रिद्ध सिद्ध सागे ल्यायोजी, सेवक गण श्रीगजानंदजी ने प्रेम से लाड लडायोजी ||