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22:02, 14 मई 2016 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=क्रिस्टोफर ओकिग्बो
|अनुवादक=कुमार मुकुल
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हमारे पीठ पीछे आ चुका है चंद्रमा
एक.दूसरे पर झुके
हम दो देवदारों के मध्य
चढते चंद्रमा के साथ
हमारा प्यार
हमारे आदिम एकांत में वास कर रहा है
अब छायाएं हैं हम
लिपटे एक.दूसरे से
शून्य को चूमती
छायाएं केवल।
</poem>