Changes

{{KKCatGeet}}
<poem>
आन बिकै छै शान बिकै छै, चौराहा पर मान बिकै छैजइहैं रे बदरिवा सजन क नगरियागरम यहाँ बाजार हवस के, पैसा पर इन्सान बिकै छैलेलेॅ अइहैं हमरोॅ खबरियाहमरा सें फेरी मुँह गेलै दूर देशबाभुलियो नै भेजै एको संदेशवाबड़ी रे निठुर भेलै हमरोॅ सांवरिया
दू दिल दोनों पार खड़ा छै, बीचोॅ में दीवार खड़ा छैसीथ सिनूर कुॅवारॉे सपना, लोभीं ठेकेदार खड़ा छैबुक फाटै छै शहनाई सरंगोॅ के, दू दिल पंछी बाट के अरमान बिकै छैबटोहियासबसें पूछै छी रोजे रोकी-रोकी रहियाकोय नै बतावै एको रे खबरिया
प्रीत खरीदोॅ मीत खरीदोॅ, सागे दर में गीत खरीदोॅचिरकै पपीहा रे कुहकै कोयलियालठ कीनोॅ भैंसो सब तोरे, हारियो केॅ तों जीत खरीदोॅकानूम तेॅ छै निअॅक्खा, दूअॅक्खा कानोॅ में घोलै जहरोॅ के ईमान बिकै छैगोलियाआगिन लगावै ठण्डी-ठण्डी बयरिया
रंग खरींदोॅ रूप खरीदोॅ, बड़काझर-बड़का भूप खरीदोॅहंसोॅ के माथा पर उल्लू, डिगरी भरझर झरै छै निशि-भर सूप खरीदोॅदिन नयनमाराती के हर बात खरीदोॅ, सबसें सस्ता जान बिकै लोर संग बहि-बहि गिरै छैअंजनमाएको पल सूखै नै हमरोॅ चुनरिया
दरबोॅ साज-सिंगार तनिको नहिं भावैरातो भरी अॅखिया में नींदो नै आबैतड़पै छी जेना जल बिना रे मछलिया ऐना में आपनोॅ नै मुॅहमा चिन्हावैबनी केॅ पिशाचिन हमरा डरावैदेहिया में बची गेलै खाली रे ठठरिया सुती-उठी रोजे रहिया बुहारौंभोरैं सें दरबार खरीदोॅ, ब्रत पूजा त्योहार खरीदोॅसांझ तलक बटिया निहारौंचानी के चक्का चलवावोॅ, सगरे जय जयकार खरीदोॅनैन पथराय गेलै जोहतें डगरियालोक आरो परलोक खरीदोॅ, कलियूग मंे भगवान बिकै छैअॅखिके लोर लेलेॅ जइहें श्याम घनमाजाय केॅ बरसी जइहैं सइयाँ ऐंगनमालोरॉे सें भरी दीहैं हिया के गगरिया
</poem>