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हंस के जीभ तरासल छै (कविता) / रामदेव भावुक
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21:02, 7 जून 2016
देखबै छौ तारा दिन में ई
उल्लू के सुरुज सुझावै छौ
हमरा
त’
तॅ
कौआ सए ओक्कर
बच्चे तेज बुझाबै छौ
Lalit Kumar
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