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आप विचार कियो अति सुन्दर मोर विचारन को उर धारो,मैं कर जोर करूँ विनती पति कृष्ण सखा निज मीत तिहारो |जाय मिलो अरु हाल कहो अति कष्ट करे दुःख दैन्य हत्यारो,ये सब बात विचार पति अब कृष्णपुरी तुम शीघ्र सिधारो | मान करे मिलते ही मन-मोहन दूर करें विपदा दुःख थारो,दौलत पाय भजो हरि को पति जीवन को फल नेक विचारो |बात कहूँ फिर नाथ यही हरि दर्शन से यह जन्म सुधारो, दूर न है कबहूं वह ग्राम बसे मन मोहन नन्द दुलारों | भक्त सुदामा ने कहा, सुनरी बावरी वाम|झूठा मंगू द्रव्य क्या, निर्धन का धन राम || मानस को तन है तो, मन करके भजो ईश, अकारण दयालु दाता, सदा शुभकारी है | श्रद्धा अरु भक्ति से, शक्ति कर अमोघ पैदा, अनुभव को मार्ग सत्य, मिथ्या संसारी है | पूर्व जन्म पुण्यहूँ से, मार्ग सुमार्ग मिले, जन्म-जन्मान्तर की बिगरी सुधारी है |कहता है सुदामा प्रभु ही प्रतिपाल करे, उनही को सत्य प्रिया गावे वेद चारि हैं | जड़ अरु चेतन में प्रभु का प्रकाश प्रिये, मानव विचित्र खूब बुद्धि के बनाये हैं |केते हैं भक्त योगी योग में तल्लीन रहते, केते ही अफंडी बन दुनियां में आये हैं |केते हैं शरीफ सज्जन जन सुशील शील, केते ही मानव शुद्ध कृष्ण गुण गए हैं |कहता सुदामा प्रिये राम-कृष्ण भजे सार, बात यह विचारि देख वेही सुख पाए हैं |  जो कयम चीज नहीं रहती, उस चीज का मांगना वाम वृथा,जीवन मेरा तो भगवत है, धन माल और आराम वृथा । सब समय हमारा बीत गया, यह चौथापन भी आन चला,श्रीराम कृष्ण रट मगन रहा, दुःख सुख का मुझे पता न चला ।         
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