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Kavita Kosh से
|रचनाकार=विष्णु नागर
}}
{{KKCatKavita}}<poem>मेरी ताकत यह है<br>कि मैं हर बार उठ कर खड़ा हो जाता हूँ<br>जब तक कि मर ही नहीं जाता<br><br>
और मरकर भी ऐसा नहीं है<br>कि मैं खड़ा होने की कोशिश नहीं करूँगा<br>
चाहे लुड़क ही पड़ूँ।
</poem>