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बात यह विचारि देख वेही सुख पाए हैं |
जो कयम चीज नहीं रहती,
उस चीज का मांगना वाम वृथा,
जीवन मेरा तो भगवत है,
धन माल और आराम वृथा ।
सब समय हमारा बीत गया,
यह चौथापन भी आन चला,
श्रीराम कृष्ण रट मगन रहा,
दुःख सुख का मुझे पता न चला ।
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