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उखाड़ कर उड़ा ले गयी मधेपुरा की गर्म हवा ?
क्या सुपौल की मिट्टी कभी चढ़ी नहीं चाक पर ?
गढ़ा न गया कोई बेज़ोर बेजोड़ शिल्प या
हमने ही उपेक्षा की शिल्प और शिल्पकार की ?
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