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दाग / जयप्रकाश मानस

1 byte added, 13:09, 17 अप्रैल 2008
समुद्र की समूची देह पर
जागती है चाँदनीचांदनी
चाँद चांद नहीं है समुद्र में
लेकिन देखने वाले