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|रचनाकार=क्रिस्टीना रोजेटी|अनुवादक=सोनाली मिश्र
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<poem>
आना मेरे पास तुम जब पसरा हो रात का सन्नाटा;
आना मेरे पास तुम सपने के शोर गुल में लिपटे मौन में,
आना मेरे पास तुम गुनगुने गालों और,
जीवन से भरी चमकदार आंखों आँखों को लिए;
आना मेरे पास वापस आँसुओं के भीगेपन में,
ओ बीते बरस की याद, उम्मीद और प्यार............
ओ मधुर स्वप्न, अन्तहीन खट्टे -मीठे मधुर स्वप्न,
हाँ, जिसे जागना चाहिए था उस स्वर्ग के आगोश में,
जहाँ प्यार की राह चलती आत्माएँ मंज़िल पाकर,
सहेज लेता है, कभी न बाहर आने के लिए.
फिर भी आओ मेरे सपनों में, जिससे मैं रह सकँ सकूँ ज़िन्दा,
इस मृतप्राय ठण्डी निस्तब्ध ज़िन्दगी में
मैं खुद ख़ुद को कह सकूँ जिन्दाज़िन्दा,
आओ मेरे पास सपनों में ही,
जिससे मैं दे तो सकूँ,
पर न जाने कितने समय पहले....
'''मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोनाली मिश्र'''
'''और अब पढ़िए कविता मूल अँग्रेज़ी में'''
Come to me in the silence of the night;
Come in the speaking silence of a dream;
Come back in tears,
O memory, hope, love of finished years.
O dream how sweet, too sweet, too bitter sweet,
Whose wakening should have been in Paradise,
Watch the slow door
That opening, letting in, lets out no more.
Yet come to me in dreams, that I may live
My very life again though cold in death:
Speak low, lean low
As long ago, my love, how long ago.
</poem>