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तुम हो / बोधिसत्व

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|संग्रह=
}}
<poem>
पुल के ऊपर से
अनगिनत पैर गुजर चुके हैं
तुम जब गुजरो
तुम्हारे पैरों के निशान
पुल के न होने पर भी, हों
पुल के ऊपर से<br>अनगिनत पैर गुजर चुके हैं<br> तुम जब गुजरो<br>तुम्हारे पैरों के निशान<br>पुल के न होने पर भी, हों<br> पुल से होकर बहने वाली नदी<br>बार-बार कहे<br>तुम हो<br>तुम हो।<br/poem>
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