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Kavita Kosh से
शुक्ल जी की तर्ज़ पर
सोच रहा हूँ अव ग्लोवल ग्लोबल समय में
पोएट्री क्या है
या फिर मिस मैनेजमेंट
तभी पास हो गया जी एस टी जी० एस० टी० कल देर रात मेंखूब ख़ूब छपी खबर अखबार ख़बर अख़बार में
कि यह ऐतिहासिक है
कहा टी० वी० के सामने मंत्री ने
यह तो बिलकुल क्लासिक है
इसी मंत्री ने सेवेंथ सेवेन्थ पे कमीशन को भी हिस्टोरिक बताया था
अपनी सरकार को करगिल वार में हेरोइक बताया था
कि दौरा पड़ गया मुझको रास्ते में
करने लगा अजीबो ग़रीब अजीबोग़रीब हरकतेंलिखने लगा नीद में प्रेमिकाओं को खतेंख़तें
लेकिन एक क्रिटिक ने मुझे आलोचक बता दिया
पोएट्री क्या है
मैनेजमेण्ट या मिस मैनेजमेण्य़मैनेजमेण्ट
कि कुछ भी लिख दूँ
और हो जाऊँ फेमस
दोष राइटर का नहीं
महिला फाइटर फ़ाइटर का नहीं
जूरी का है
यानी हिन्दी कहानी के शेरशाह सूरी का है
मैं सोच ही रहा था
कि चैनल पर शुरू हो गया था मुकाबलामुक़ाबला
सतीश उपाध्याय आ ही गए थे
हमेशा की तरह विराजमान थे राकेश जी
इस बीच इन्फ्लेशन इन्फ़लेशन और बढ़ गया थारूपया रुपया डॉलर के मुक़ाबले और कमज़ोर हो गया था
नीति आयोग की कोई नीति नहीं थी
रचना को देखने की उनकी दृष्टि में कोई स्फीति नहीं थी
अब उसका हाइप था
कवि भी झोला छाप नहीं था
बाकायदा आई० आई० एम० का एम० बी० ऐ० ए० था
पोएर्टी क्या है