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{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमा द्विवेदी}}
किसी को हद से<br> ज्यादा मत चाहो,<br> पूरा अस्तित्व ही<br> खतरे में पड. जाता हॆ ।<br><br> खोकर अपनी पहचान ,<br>
आदमी न जी पाता है ,<br>
न मर पाता है ।<br>
पूरा अस्तित्व ही<br>
खतरे में पड. जाता है॥<br><br>
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