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साओन / यात्री

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परतीक कोँढ़ - करेज जुड़ाएल
बाध - बोन हरिअर भ’गेलभऽ गेल
प्रकृति - नटि केर अंग अंग मेँ
महाकाल टेमी द’ दऽ देलसर-सरिताकेँ भरल देखिकएँदेखिकए
बिजुलत्ताकेँ सुझलइ खेल
बँसबारिक भगजोगनीं सभसँ
ओ धोछिया कए लेलक मेल
तामस उठलन्हि मेधराकेँमेघराजकेँ
ठनका ठनकल डाँटक लेल
डूबल रहइ दोबगली लाइन
धरतीक कोंढ़ करेज जुड़ाएल
बाध-बोन हरिअह भ’गेल।
 
भीजल - तीतल, ध्वैल - नहाएल
अनका लेखेँ मजगर विधुरक
पिछड़ि - पिछड़ि कँऽखसथु राधिका
कान्ह क लेल हँसाओन मास
गाइनि लोकनिक हेतु मोदमय
कोहबर महक ओछाओन मास
भीजल - तीतल ध्वैल - नहाएल
सिमसिमाह ई साओन मास
 
मोट डारि मेँ मचको मचकी बान्हल
झूलो झूलथु नन्दकिशोर
पलखति भेटन्हु नजरि बचा कएँ
एक प्राण छथि साँवर - गोर
किए कान्ह ओँधड़ेता भूपर
राधा किए बहओतो बहओती नोर
आनक सुख - सोहाग देखतइ तऽ
किए हेतइ ककरो मन घोर
मोट डारिमेँ मचकी बान्हल
झूला झूलथु नन्दकिशोर
 
कान पाथि कँ केँ सुनब पहर भरि
गावथु प्रौढ़ा लोकनि मलार
भीजब हम भरि पोख पहर भरि
बदरा बस्सओ बरसओ मूसलधार
चोभब राढ़ी आम भदइया
शलहेशक हम करब सिङार
बिशहराक गहबर ओगरब ग’गऽदेखब ग’ गऽ लाबाक पथार
सूपक सूप उझिलता अइखन
पाछाँ बरू भ’ भऽ जेता देखार
बिला जेता भादबमेँ बिलकुल
मेधक मेघक लीलो अपरम्पार
कान पाथि केँ सुनब पहरभरि
गावथु प्रौढ़ा लोकनि मलार
 
लोचन-अंजन, जन मन रंजन
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