Changes

जिजीविषा / मुकेश प्रत्‍यूष

773 bytes added, 16:47, 25 अगस्त 2016
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश प्रत्‍यूष |संग्रह= }} Category:कव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश प्रत्‍यूष
|संग्रह=
}}
[[Category:कविता]]
{{KKCatKavita‎}}<poem>
हालांकि
खत्म कर दी थी मैंने
सारी की सारी संभावनाएं विकास की
मिटा दी थी जिन्दगी की हर पहचान
बंद करके
दरवाजे, खिड़कियां, रोशनदान

किन्तु दो दिन में ही अंकुर गए
भींगे बिखरे बूंट
छोड़ गया था मैं जिन्हें
सड़ने और बर्बाद होने के लिए.

</poem>
775
edits