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|रचनाकार=अज्ञात
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi|भाषा=राजस्थानीKKCatRajasthaniRachna}}<poem>ओजी म्हारी सहेल्यां जोवे बाटो, भंवर म्हांने खेलण द्यों गणगौरखेलण द्यो गणगौर-गणगौर, भंवर म्हांने निरखण द्यो गणगौरजी म्हांरी सहेल्यां...
ओजी म्हारी सहेल्यां जोवे बाटोके दिन की गणगौर, भंवर म्हांने खेलण द्यों गणगौर। <br>सुन्दर थांने कतरा दिन को चावखेलण द्यो गणगौर-सोळा दिन की गणगौर, भंवर म्हांने निरखण द्यो गणगौर। <br>सोळा दिन को चावजी ओजी म्हांरी सहेल्यां .......... <br><br>
के दिन की गणगौर, सुन्दर थांने कतरा दिन को चाव। <br>सोळा दिन की गणगौर, भंवर म्हांने सोळा दिन को चाव। <br>ओजी म्हांरी सहेल्यां .......... <br><br> सहेळ्यां ने ऊभी राखो, सुन्दर थांकी सहेळ्यां ने ऊभी राखो। <br>राखोजी थांकी सहेळ्यां ने दोवंण गोट, सुन्दर थाने खेळणं दां गणगौर। <br>गणगौरखेलण द्यो गणगौर.......</poem>