Changes

|रचनाकार=दास
}}
{{KKCatChhand}}
<poem>
कढिकै निसंक पैठि जाति झुंड झुंडन में,
लोगनि को देख दास आनंद पगति है.
दौरि दौरि जहीं तहीं लाल करि डारति है,
अंक लगि कंठ लगिबेको उमगति है.
चमक झमक वारी,ठमक जमक वारी,
रमक तमक वारी जाहिर जगति है.राम !असि रावरे की रन में नरन में-- निजल बनिता सी होरी खेलन लगति है.
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,148
edits