लेखक: [[अज्ञेय]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:|रचनाकार=अज्ञेय]]}}{{KKAnthologyChand}}{{KKCatKavita}}<poem>शरद चांदनी बरसीअँजुरी भर कर पी लो
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ऊँघ रहे हैं तारेसिहरी सरसीओ प्रिय कुमुद ताकतेअनझिप क्षण मेंतुम भी जी लो ।
शरद चाँदनी बरसी<br>सींच रही है ओसअँजुरी भर कर पी लो<br><br>हमारे गानेघने कुहासे मेंझिपतेचेहरे पहचाने
ऊँघ रहे खम्भों पर बत्तियाँखड़ी हैं तारे<br>सीठीसिहरी सरसी<br>ओ प्रिय कुमुद ताकते<br>ठिठक गये हैं मानोंअनझिप क्षण में<br>पल-छिनतुम भी जी लो ।<br><br>आने-जाने
सींच रही है ओस<br>उठी ललकहमारे गाने<br>हिय उमगाघने कुहासे में<br>अनकहनी अलसानीझिपते<br>जगी लालसा मीठी,चेहरे पहचाने<br><br>खड़े रहो ढिंगगहो हाथपाहुन मन-भाने,ओ प्रिय रहो साथभर-भर कर अँजुरी पी लो
खम्भों पर बत्तियाँ<br>खड़ी हैं सीठी<br>ठिठक गये हैं मानों<br>पल-छिन<br>आने-जाने<br><br> उठी ललक<br>हिय उमगा<br>अनकहनी अलसानी<br>जगी लालसा मीठी,<br>खड़े रहो ढिंग<br>गहो हाथ<br>पाहुन मन-भाने,<br>ओ प्रिय रहो साथ<br>भर-भर कर अँजुरी पी लो<br><br> बरसी<br>शरद चाँदनी<br>चांदनी मेरा अन्त:स्पन्दन<br>तुम भी क्षण-क्षण जी लो !<br><br/poem>