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जन-गण-मन / द्विजेन्द्र 'द्विज'

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|नाम=जन-गण-मन
|रचनाकार=[[द्विजेन्द्र 'द्विज']]
|प्रकाशक=दुष्यंत-देवांश प्रकाशन (अशोक लॉज, मरांडा - 176102, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश, भारत)
|वर्ष=2003
|भाषा=हिन्दी
|विषय=ग़ज़ल संग्रह
|शैली=--
|पृष्ठ=--80
|ISBN=--
|विविध=--
* [[इन्हीं हाथों ने बेशक विश्व का इतिहास लिक्खा है / द्विजेन्द्र 'द्विज']]
* [[तहज़ीब यह नई है, इसको सलाम कहिए / द्विजेन्द्र 'द्विज']]
* [[जो पल कर आस्तीनों में हमारी हमको डसते हैं / द्विजेन्द्र 'द्विज']]
* [[हुज़ूर, आप तो जा पहुँचे आसमानों में / द्विजेन्द्र 'द्विज']]
* [[जाने कितने ही उजालों का दहन होता है / द्विजेन्द्र 'द्विज']]
* [[कटे थे कल जो यहाँ जंगलों की भाषा मे / द्विजेन्द्र 'द्विज']]
* [[पृष्ठ तो इतिहास के जन-जन को दिखलाए गए / द्विजेन्द्र 'द्विज']]
* [[बेशक बचा हुआ कोई भी उसका पर न था / द्विजेन्द्र 'द्विज']]
* [[देख, ऐसे सवाल रहने दे / द्विजेन्द्र 'द्विज']]
* [[उनका विस्तार ही नहीं होता / द्विजेन्द्र 'द्विज']]
* [[किसी के पास वो तर्ज़े-बयाँ नहीं देखा / द्विजेन्द्र 'द्विज']]
* [[नींव जो भरते रहे हैं आपके आवास की / द्विजेन्द्र 'द्विज']]