भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
/* ग़ज़लें */
* [[शब ख़्वाब के ज़जीरों में हँस कर गुज़र गई / अम्बर बहराईची]]
* [[वो लम्हा मुझ को शश्दर कर गया था / अम्बर बहराईची]]
* [[पलाशों के सभी पल्लू हवा में उड़ रहे होंगे / अम्बर बहराईची]]
* [[सात रंगों की धनक यों भी सजा कर देखना / अम्बर बहराईची]]
* [[फिर उस घाट से ख़ुश्बू ने बुलावे भेजे / अम्बर बहराईची]]