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इबारत देख कर जिस तरह मानी जान लेते हैं<br><br>
तुझे घाटा ना होने देंगे कारोबार ए उल्फ़त में<br>
हम अपने सर तेरा ए दोस्त हर एहसान लेते हैं<br>v
हमारी हर नजर तुझसे नयी सौगन्ध खाती है<br>
तो तेरी हर नजर से हम नया पैगाम लेते हैं<br><br>
फ़िराक अक्सर बदल कर भेस मिलता है कोई काफ़िर<br>
कभी हम जान लेते हैं कभी पहचान लेते हैं<br><br>
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