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श्वास में भर वेग लो अपने तुफानी।
नाम कर दो देश के अपनी जवानी॥
रंगून के 'जुबली हॉल' में सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिया गया भाषण सदैव के लिए इतिहास के पत्रों में अंकित हो गया जिसमें उन्होंने कहा था -
"स्वतंत्रता संग्राम के मेरे साथियों! स्वतंत्रता बलिदान चाहती है। आपने आज़ादी के लिए बहुत त्याग किया है, किन्तु अभी प्राणों की आहुति देना शेष है। आज़ादी को आज अपने शीश फूल की तरह चढ़ा देने वाले पुजारियों की आवश्यकता है। ऐसे नौजवानों की आवश्यकता है, जो अपना सिर काट कर स्वाधीनता की देवी को भेंट चढ़ा सकें। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूँगा। खून भी एक दो बूँद नहीं इतना कि खून का एक महासागर तैयार हो जाये और उसमें में ब्रिटिश साम्राज्य को डूबो दूँ ।
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