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हत्यारे जब बुद्धिजीवी होते हैं / योगेंद्र कृष्णा
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09:26, 9 जून 2008
जिसमें तुम रहते हो
तुम्हारे छोटे-छोटे सुखों का
जहां-जहा तुम सांस लेते हो
रचते हैं झूठ
रंग रस गंध
वे
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Yogendra Krishna