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Kavita Kosh से
मौज के दिन लौट आए !
है पता मुझकोµयहाँ मुझको यहाँ पर
कुछ नहीं है नित्य फिर भी,
चाहता मनµप्राण मन प्राण पुलके
काल के हाथों में गिरवी;
सूख जायेगी कभी भी