भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatRajasthaniRachna}}
<poem>
बापड़ी रात तो ताराँ नै पाल्या-पोस्या पण ओ सूरजियो कुळनासी है।
</poem>