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/* भारतेन्दु 'रसा' की ग़ज़लें */
* चाह जिसकी थी वही यूसुफ़े सानी निकला / भारतेंदु हरिश्चंद्र
* बख्त ने फिर मुझे इस साल दिखाई होली / भारतेंदु हरिश्चंद्र
* चम्पई गरचे दुपट्टा है तो गुलदार है बेल / भारतेंदु हरिश्चंद्र
* अल्ला रे लुल्फ़े ज़बह की कहता हूँ बार-बार / भारतेंदु हरिश्चंद्र