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जो अफ्सरान-ए-हुकूमत के ऐतक़ाद में है<br>
तकल्लुफ़ान मेरे नजदीक आ के बैठ गए<br>
फिर *एहतराम 1एहतराम से मौसम का जिक्र छेड़ दिया<br>*आदर 1आदर <br>
कुछ उस के बाद सियासत की बात भी निकली<br>
कि वक्त कैसा गुजरता है तेरा जान-ए-हयात ?<br><br>
पहर दिन की *अज़ीयत 2अज़ीयत में कितनी शिद्दत है<br>
उजाड़ रात की तन्हाई क्या क़यामत है<br>
शबों की सुस्त रावी का तुझे भी शिकवा है<br>
गम-ए-फिराक के किस्से **निशात3निशात-ए-वस्ल का जिक्र<br>
रवायतें ही सही कोई बात तो करते.....<br>
*अत्याचार **मिलन 2अत्याचार  3मिलन की खुशी