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कुछ और दोहे / बनज कुमार ’बनज’
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09:34, 18 जून 2017
फैल रहा है आजकल, घर-घर में ये रोग।
क़द के खातिर कर रहे, एड़ी ऊंची लोग।।
उतर गई थी गोद से, डर के मारे छाँव।
रखे पेड़ पर धूप ने, ज्यों ही अपने पाँव।।
</poem>
अनिल जनविजय
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