भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
पर अंधेरा देख तू आकाश के तारे न देख।<br><br>
एक दिरया दरिया है यहां पर दूर तक फैला हुआ,<br>
आज अपने बाज़ुओं को देख पतवारें न देख।<br><br>
Anonymous user