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विदा के बाद प्रतीक्षा / दुष्यंत कुमार
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00:35, 8 सितम्बर 2006
और देखता रहता हूँ मैं। <br><br>
सड़को
सड़कों
पर धूप चिलचिलाती है<br>
चिड़िया तक दिखायी नही देती<br>
पिघले तारकोल में<br>
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घनश्याम चन्द्र गुप्त