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जीवन-जुवा / चक्रपाणि चालिसे
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06:07, 29 जून 2017
तस्मात् दिक्क भएर भन्छु सबमा यस्तो जुवाडे लग
लाग्नेले मनमा विचारि बहुतं हेरुन् नहार्ने घत ।।८।।
('पद्य-संग्रह' बाट)
</poem>
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