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|संग्रह= दो मिसरे / विजय वाते
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कहने सुनने का कोई नतीजा नहीं है|<br>
मगर दिल कर काबू किसी का नहीं है|<br><br>
 
की दो और दो चार होते हैं लेकिन,<br>
ये सीधा गणित हमने सीखा नहीं है|<br><br>
 
न कोई तड़प है न दीवानगी है,<br>
यर हम से मिलन का तरीका नहीं है|<br><br>
 
सतह पर ही टहले न डूबे न भीगे,<br>
मेरे शेरो का ये सलीका नही है|<br><br>
 
दिलों पर असर कुछ टू करती है "वाते",<br>
ग़ज़ल का तेरी रंग फीका नहीं है|