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थूंआपांबीमारबातां तो करांथारी लापरवाही सूंघणी चोखी-चोखीठीक होवणौ चावैपण तदइण रै मुजबनां डरढळां किता'क ?
टैम काडबरफ दांईंखुद सारूटुकड़ा-टुकड़ा सांच कीं नीं आणी-जाणी
अर
प्रकृति नै दिखापसरज्यैजिकीसैं’ सूं बड्डी डाकधर।बण'र पाणी।
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