चिंतन, दर्शन, जीवन, सर्जन, रूह, नज़र पर छाई- अम्मा,
सारे घर का शोर-शराबा, सूनापन, तनहाई- अम्मा.
सारे रिश्ते- जेठ-दुपहरीचिंतन, गर्म-हवादर्शन, आतिशजीवन, अंगारेसर्जन,रूह,नज़र पर छाई अम्माझरनासारे घर का शोर-शराबा, दरियासूनापन, झील, समंदर, भीनी-सी पुरवाई- तनहाई अम्मा.
उसने ख़ुद को खोकर; मुझमें एक नया आकार लिया हैसारे रिश्ते- जेठ-दुपहरी,गर्म-हवा,आतिश,अंगारेधरतीझरना, अंबरदरिया, आगझील, हवासमंदर, जल जैसी ही सच्चाईभीनी- सी पुरवाई अम्मा.
बाबूजी गुज़रे आपस में सब चीज़ें तक़्सीम हुईं, तब-उसने ख़ुद को खोकर;मुझमें एक नया आकार लिया हैमैं घर में सबसे छोटा थाधरती,अंबर,आग,हवा, मेरे हिस्से आई- जल जैसी ही सच्चाई अम्मा.
बाबूजी गुज़रे आपस में सब चीज़ें तक़्सीम हुईं,तब-मैं घर में सबसे छोटा था,मेरे हिस्से आई अम्मा घर में झीने रिश्ते मैंने लाखों बार उधड़ते देखे,चुपके-चुपके कर देती है, जाने कब तुरपाई- अम्मा.