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चिन्मय भोर / कल्पना 'मनोरमा'

1 byte removed, 07:04, 9 सितम्बर 2017
ज्ञान की जलती अँगीठी,
पर सिंकें रोती कहाँ से
 
विहग कलरव में मचलती
एक तन्मय भोर लें,
बाँटे उजाले।
</poem>
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