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दायरा / कुमार सौरभ

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उठो, चढ़ाओ अदहन<ref>चावल पकाने के लिए उबलता हुआ जल</ref>
गमकेगा गरमा भात
पोठी<ref>एक प्रकार की छोटी मछली</ref> का झोर!<ref>सब्ज़ी का रसा रस या झोलझोर</ref>
हौ कक्का
उधिए उघिए छिट्टा-छिट्टा धान
दोसरो सीजन में
साध सकते हैं समसान
करिया मेघ चमकने लगा है
बुनकने लगा तो
धान का खूबे नुकसान हो जाएगा
ददा हौ
दूगो नन्हकिरबा की पढ़ौनी
जमा बारह पेट के लिए
हौड़ी हाँड़ी भी चढ़नी है साल भर
मरुँआ, गहुँम और गरमा<ref>धान की एक अत्यन्त साधारण किस्म</ref> की
डेढ़-दो बीघा उपज से
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