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वो ईश्वर था / दीपिका केशरी

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वो ईश्वर था
वो स्त्री पुरुष नही था
वो बस ईश्वर था !
उसने अपने मर्जी से चुना था ईश्वर होना
वो कईयों द्वारा अपनाया जाता था
कईयों द्वारा छोङा
कईयों द्वारा कोसा भी जाता था
फिर भी
वो ईश्वर था !
वो व्यस्त था
अपने द्वारा ही रचित संसार में
पर वो समानता न बांट पाता था
क्यूंकि
वो ईश्वर था !
किसी ने उसे विलाप करते नहीं देखा था
न ही शोक मनाते और न शोक से
उबरते देखा था
वो बस ईश्वर था !
बस उसे एक स्थिर मुस्कान वाला जादूगर
समझा जाता रहा
क्यूंकि
वो मात्र ईश्वर था !
काली कोठरी में रहता था
जाहिर सी बात है
उसके चरित्र में दाग लगना था
क्यूंकि उसने अपनी मर्जी से चुना था
सबका ईश्वर होना !
</poem>
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