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जीवन की आपा-धापी में
हम जाते हैं अलग अलग स्थानों तक
हम मिलते हैं और अदा करते हैं
अपने अपने किरदार -

हम अपने विचारों को छुपाते हैं,
छुपाते हैं अपने घाव
और अपना हृदय जो धड़कता है
और करता है आघात -

हम हर सुबह टांग कर दरवाज़े की खूंटियों पर
अपने नाम का विज्ञापन
बात करते हैं मौसम
और पवन के बारे में -

जीवन की आपा-धापी में
हम कितने करीब आ जाते हैं
लेकिन फिर भी होते हैं बहुत दूर
वैसे भी.

'''(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)'''
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