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<Poem>
मत पूछो तुम कौन हो और मैं कौन हूँ
और क्यूँ हैं सब चीज़ें.
प्रोफेसरों को करने दो अनुसन्धान,
उन्हें दी जाती है तनख्वाह.
रख दो तराजू मेज़ पर
और स्वयं को तौलने दो वास्तविकता को.
पहन लो अपनी कोट.
कक्ष की रोशनी बुझा दो.
दरवाजा बंद करो.
करने दो मृतकों को शव-संलेपन मृतकों का.

यहाँ से बढ़ते हैं हम आगे .
वह जिसके पास सफ़ेद रबड़ के जूते हैं
तुम हो.
वह जिसके पास काले रबड़ के जूते हैं
मैं हूँ.
और बारिश जो हम दोनों पर बरस रही है
बारिश है.


'''(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)'''
</poem>
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